Tuesday 9 July 2013

अभिवादन...लूमिए बन्धुओको !


औगुस्टे मेरी लुई और लुई जेअं ....याने लुमीए बंधू !
७ जुलाई ...यह तारीख अपने चित्रपट इतिहास में बड़ी एहमियत रखती है !..इसी तारीख को सन  १८९६ में  सिनेमा का आगमन हमारे देस में हुआ !...फ़्रांसिसी  लुमीए बन्धुओने इसका प्रेजेंटेशन बम्बई में किया ! इससे पहले उन्होंने अपने इन प्रोजेक्टेड चल चित्रों का प्रेजेंटेशन पेरिस में २८ दिसम्बर , १८९५ को किया था !
इतिहास रचाने वाले इस सादरीकरण में १० लघुपट दिखाए गए थे ..

औगुस्टे मेरी लुई और लुई जेअं ....याने लुमीए बंधू ..सिनेमा माध्यम के आद्य प्रवर्तकों में एहम नाम !
बेसोंकों, फ्रांस में (अनुक्रमसे १८६२ और १८६४ ) में जन्मे  इन बन्धुओ ने ल्यओं में शिक्षा ली थी ..उनके पिता क्लौद अन्तोन लुमिए की फोटोग्राफिक फर्म थी ...और यह दोनों भाई इसमें काम करते थे इसमें लुई ने स्टील फोटोग्राफ्स प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन किया ...जो की चलचित्र की तरफ एक बड़ा कदम था !...बाद में दोनों भाईओने १८९२ तक चलचित्रोको (मूविंग इमेजेस) निर्माण करना शुरू किया ..!

इसमें अपने फिल्म कैमरे तक की बहुविध प्रक्रिया उन्होंने साध्य की।.इसमें पहेला फिल्म फुटेज रिकॉर्ड हुआ ..१९ मार्च , १८९५ में ..जो था उन्हीके लुमिए फैक्ट्री से लोग बाहर आ रहे  दर्शाने का! बाद में उन्होंने अपने प्रोजेक्टेड मोशन पिक्चरस का प्राइवेट स्क्रीनिंग किया ..इसमें दस लघुपट दिखाए गए ...हर एक फिल्म १७ मीटर लम्बी और ५० सेकंड चलनेवाली थी !..कुछ महीनो बाद उन्होंने पेरिस के 'ग्रैंड कैफ़े' में आम लोगो के लिए इसका प्रेजेंटेशन किया। इसमें निम्न दस फिल्मो को दर्शाया गया :


१) एंट्री ऑफ़ सिनेमातोग्राफे
२) लुमिए फैक्ट्री से मजदूरों का बाहर आना
३) बागबान (गार्डनर )
४) घोडों की राइडिंग
५)  गोल्डफिश के लिए फिशिंग
६) ब्लैक स्मिथ
७) परिवार का नास्ता (बेबीज ब्रेक्क्फास्त )
८) जम्पिन्ग ऑन दी ब्लंकेट
९) रास्ते का दृश्य (अ स्ट्रीट सिन )
१०) समुन्दर दृश्य




फिर १८९६ में लुमिए बंधू  विश्वसंचार के लिए निकले....लन्दन , मोंत्रेयल , न्यूयॉर्क....जैसे  नामी शहरों से होते हुए वह भारत में पहुंचे !...और ७ जुलाई को बम्बई के 'वाटसन'स होटल' में उन्होंने अपने इस प्रोजेक्टेड मोशन पिक्चरस का सादरीकरण किया...और 'सिनेमा' इस सर्वश्रेष्ठ कला से वाकिफ करवाया!

इस सादरीकरण में लुमिए बन्धुओके कुछ सातएक लघुपटोको दर्शाया गया !..जिनमे (अनुक्रमसे) थे:
१) लुमिए फैक्ट्री से निकलते मजदूर
२) महिलाए और सैनिको का टहलना
३)परिवार का बच्चे के साथ नास्ता
४) बाग में पानी डालता गार्डनर (पहला विनोदी )
५) ताश खेलते...पार्टी मनाना
६) रेल का प्लेटफार्म में आना
और ७) विध्वंस (डीमोलिसन )

 इसमें बाजु में दिख रहा दृश्य,..जिसमे रेल प्लेटफार्म में आती है ...वह लोगोंको इतना हुबहू लगा की, वह कही अपने ऊपर न आ जाए...इस डर से वह बाहर भागे थे !

फिर १८९९ के बाद हमारे देस में चित्रपट माध्यम को विकसीत करने के क्या प्रयास हुए,...और इसमें बम्बई के फोटोग्राफर हरिश्चन्द्र भाटवडेकर तथा सावेदादा, एफ .बी .थानावाला....कलकत्ता के 'रॉयल बॉयोस्कोप ' के हीरालाल सेन बंधू , जे .एफ .मदान और पहले निर्देशक जाने गए ज्योतिष सरकार....आदीओने इसमें अपना कैसा योगदान दिया...इसके बारे में आप मेरे इसके पहले लेखो में पढ़ चुके है !


-मनोज कुलकर्णी


 

No comments:

Post a Comment